कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले रायबरेली और अमेठी में क्रमशःछत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पर्यवेक्षक के रूप में जिम्मेदारी दी गयी है.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपना दाव खेलना शुरू कर दिया है उत्तर प्रदेश मैं कांग्रेस का गढ़ कहीं जाने में दो लोकसभा क्षेत्र अमेठी और रायबरेली में पार्टी ने अपने पर्यवेक्षकों के नाम का ऐलान कर दिया है. अमेठी लोकसभा क्षेत्र से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रायबरेली लोकसभा क्षेत्र का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.
बताते चले की अमेठी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया है. यहां किशोरी लाल शर्मा का सीधा मुकाबला भाजपा के केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से होने वाला है जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को हराकर सांसद बनी थी. वही बात करें रायबरेली लोकसभा क्षेत्र की तो यहां से राहुल गांधी मैदान में है जिनका सीधा मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से होने वाला है.
कांग्रेस अध्यक्ष श्री @kharge जी के अनुमोदन पर रायबरेली और अमेठी लोकसभा का पर्यवेक्षक बनाए जाने पर श्री @bhupeshbaghel जी और श्री @ashokgehlot51 जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
मुझे पूरा विश्वास है कि आपके मार्गदर्शन में कांग्रेस पार्टी दोनो ही सीटों पर रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल करेगी। pic.twitter.com/ieYDFOfEsn
— Avinash Pande (@avinashpandeinc) May 6, 2024
बात करें राहुल गांधी की तो पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी से हार का सामना करना पड़ा था जबकि वह अमेठी लोकसभा क्षेत्र से तीन बार सांसद चुने जा चुके थे. उस चुनाव में राहुल गांधी केरल के वायनाड सीट से सांसद चुनकर संसद पहुंचे थे. वही इस बार राहुल गांधी रायबरेली से नामांकन करने का फैसला लिये तो बीजेपी ने इसका फायदा उठाते हुए राहुल गांधी पर मैदान छोड़कर भागने का आरोप लगा दिया हालांकि कांग्रेस ने इसे मास्टर स्टॉक कहा.
वैसे बताते चले कि रायबरेली सीट से हर बार कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी चुनाव लड़ा करती थी उनके बाद इस बार पार्टी ने राहुल गांधी को इस लोकसभा सिट से उतारने का फैसला लिया रायबरेली के अलावा राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं और सच तो यह है कि राहुल गांधी के चुनाव में उतरने के बाद रायबरेली सीट एक बार फिर से हाई प्रोफाइल बनती नजर आ रही है.
कौन है भूपेश बघेल : भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री है वह अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय युवा कांग्रेस से शुरू किया और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और कार्यक्रम समन्वयक भी रह चुके हैं वह 1993 में पहली बार पाटन से मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए और बाद में इस सीट से पांच बार विधानसभा पहुंचे. दिसंबर 1998 में भूपेश बघेल को दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री मुख्यमंत्री संबंधी लोक शिकायत निवारण के रूप में नियुक्त किया गया और दिसंबर 1999 में परिवहन मंत्री बनाया गया.
इस जिम्मेदारी का श्री बघेल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स(ट्विटर) पर एक पोस्ट जारी कर कहा के “इस बड़ी जिम्मेदारी और भरोसे के लिये शीर्ष नेतृत्व का आभार.”
इस बड़ी जिम्मेदारी और भरोसे के लिये शीर्ष नेतृत्व का आभार. pic.twitter.com/MgmDazBb7g
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 6, 2024
नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद वह छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य बने. साल 2003 के राज्य चुनाव में व फिर उसी सीट से विधायक बने. अक्टूबर 2014 से जून 2019 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कि राज्य इकाई के अध्यक्ष थे 2013 के नक्सली हमले के बाद बघेल ने राज्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उनकी ही अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने 2018 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की और 2018 से 2023 तक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने रहे.
कैसा है राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इतिहास : बात करें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का तो वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ है यह 1998 से 2003 फिर 2008 से 2013 और उसके बाद 2018 से 2023 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे. वह सरदारपुरा निर्वाचन क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते हैं, इन्होंने राजस्थान विधानसभा के लिए अपना पहला चुनाव 1977 में सरदारपुरा निर्वाचन क्षेत्र से लड़े और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जनता पार्टी के माधव सिंह से 4426 वोटो के अंतर से हार गए.
श्री गहलोत को अपना पहला चुनाव लड़ने के लिए अपनी मोटरसाइकिल बेचनी पड़ी थी. 1980 में इन्होंने जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, 1984 में उन्हें पहली बार केंद्रीय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और फिर वह 1989 में जोधपुर से चुनाव हार गए. वापस से 1991 में जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में वापस लौटी तो उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव द्वारा फिर से केंद्रीय मंत्री नियुक्त किया गया. 1998 में कांग्रेस ने राजस्थान में 200 में से 153 सिट लाकर प्रचंड जीत हासिल की जिसके बाद अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार नियुक्त किया गया.